वाराणसी, अगस्त 30 -- वाराणसी। अपने बच्चों को रोज 'जिंदगी और मौत से जूझते देखते रहना कितना दर्द भरा हो सकता है, इसकी कल्पना भी बहुत तकलीफदेह है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों को देखकर अभिभावकों पर क्या बीतती होगी, इसका अनुमान लगा पाना कठिन है। हर पल जिंदगी की उम्मीद क्षीण होती जाती है। मौत नजदीक बढ़ती है। इस बीमारी का उपचार बेहद महंगा है, इसमें जीवनभर फिजियोथिरेपी अनिवार्य है। पीड़ितों और उनके स्वजनों की गुहार है कि सरकार और प्रशासन इस बीमारी से निजात दिलाने में मदद और इलाज की व्यवस्था करें। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ऐसी बीमारी है जो मांसपेशियों को कमजोर कर देती है, अपंग बना देती है। रोगी को अपने दैनिक जीवन में अनेक परेशानियों और मृत्यृ के भय से रोजाना गुजरना पड़ता है। इस बीमारी को लेकर उत्तरप्रदेश में अन्य राज्यों की तरह जागरूकता, किसी तरह...