वाराणसी, अगस्त 27 -- वाराणसी। कल्पना करें, घर-आंगन में ठेहुना तक सीवर का पानी जमा हो और उसमें सांप-बिच्छू भी तैरते दिखें, बदबू सही न जाए तो क्या उस माहौल में भोजन पक सकता है? किसी तरह पक भी जाए तो क्या गले के नीचे उतर पाएगा? यह असहनीय माहौल रामनगर जितने ही पुराने उसके साहित्यनाका मोहल्ले में तीन माह से हर दूसरे-चौथे दिन बन जा रहा है। सैकड़ों परिवारों की दिनचर्या ठप हो जाती है। विडंबना यह कि इस समाधान की गुहार लगाने वाले बाशिंदों को एफआईआर की चेतावनी मिल रही है। रामनगर में लगभग तीन सौ वर्ष पहले एक टोला बसा-'सरायनाका। तब काशी स्टेट का जमाना था। अपनी किसी समस्या के समाधान की आस लिए काशिराज दरबार में पहुंचने वालों को पहले सरायनाका में ठहराया जाता था। किले से अनुमति मिलने पर वे समुचित जगह जा पाते थे। कालांतर में सरायनाका के एक कोने पर संस्कृत-...