वाराणसी, अगस्त 25 -- वाराणसी। निषादराज गुह भारी तनाव में हैं कि वह लंबे लाव-लश्कर के साथ आ रहे भरत को कहां बैठाएंगे? दूसरे शब्दों में, क्या भरत कीचड़ भरे 'शृंगवेरपुर में निषादराज से मुलाकात एवं रात्रि विश्राम करेंगे-यह गंभीर सवाल इस बार रामनगर के 'निषादराज आश्रम (मोहल्ले) के लोगों को बहुत शिद्दत से मथ रहा है। क्योंकि लीला स्थल और आसपास का इलाका जलजमाव से घिरा हुआ है। बारिश के अभी जारी रहने की संभावना और सरकारी तंत्र की निष्क्रियता के मद्देनजर 10-15 सितंबर तक स्थान के अनुकूल होने की आशा कम ही है। रामनगर की रामलीला को विश्वप्रसिद्ध बनाने में मंचन की अनूठी शैली के साथ लीला-स्थलों का भी अप्रतिम योगदान है। उन स्थलों के नाम श्रीरामचरित मानस के कथा प्रसंगों के अनुरूप रखे गए हैं। उनमें एक प्रमुख स्थान है 'शृंगवेरपुर या निषादराज आश्रम। यह रामनगर म...