वाराणसी, अप्रैल 28 -- वाराणसी। दर्द जब दास्तां बन जाए तो जीवन की दशा बदहाल रूप अख्तियार कर लेती है। कुछ ऐसा ही दर्द लिये जीवन काट रहे हैं रामनगर की गोलाघाट-चौहान बस्ती के लोग। दर्द आज का नहीं, पुराना है। बुनियादी सुविधाओं का तो जैसे अकाल है। जो सुविधाएं उपलब्ध हैं, वे भी आधी अधूरी या यह कहिए कि अनुपयोगी हो चुकी हैं। सीवर ओवरफ्लो करता है। कूड़ा रखने के लिए कंटेनर नहीं है। नगर निगम की परिधि में आने के बाद समस्याओं की अनदेखी हो रही है, शिकायतों की सुनवाई भी नहीं होती। रामनगर किले के पास गंगा तट पर बसी इस बस्ती के लोगों के चेहरे पर उभरी पीड़ा यह बता रही थी कि उनके सुकून को जैसे छीना जा रहा हो। बस्ती के पास बने गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर जुटे लोगों ने 'हिन्दुस्तान को अपना दर्द सुनाया और दुश्वारियां दिखाईं। विकास चौहान, पूर्णमासी, संतोष, रुस्तम ख...