वाराणसी, जुलाई 3 -- वाराणसी। 'वाराणसी शब्द को ही नहीं, शहर को पूर्णता देने वाली वरुणा अपनी 'जिंदगी को लेकर हताश और निराश हैं। उनके कछार में कंक्रीट के जंगल उगते चले जा रहे हैं, इसलिए वहां से शांति गायब हो चुकी है। आमजन का क्रूर व्यवहार और प्रशासन की उदासीनता वरुणा की हताशा बढ़ा रहा है। नदी के पेट में भरा मलजल तटवर्ती लोगों को भी बीमार बना रहा है। किनारे अतिक्रमण 'फल-फूल रहा है, जलकुंभी 'लहलहा रही है। नदी के प्रेमियों का कहना है कि शीघ्र बचाव के उपाय नहीं हुए तो आने वाले दिनों में यह नदी भी असि की तरह 'नाला बन जाएगी। संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों में वरुणा का उल्लेख मिलता है, इसलिए इसकी प्राचीनता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। प्रयागराज के फूलपुर में इसका उद्गम माना जाता है। वहां से वह जौनपुर के रास्ते वाराणसी पहुंची। कालप्रवाह ने वरुणा के प्रवा...