नई दिल्ली, अक्टूबर 1 -- वाराणसी। कराटे, जूडो और कुंगफू को एक ही माना जाता है मगर तीनों अलग-अलग विधा के खेल हैं। उनकी तकनीक जुदा है। इस आधार पर ट्रेनर भी अलग होते हैं। ट्रेनरों का कहना है कि कराटे आत्मरक्षा का प्रभावी अस्त्र है, खासकर महिलाओं और युवतियों के लिए मगर इस खेल से जुड़ी महिला खिलाड़ी कॅरियर के लिहाज से चिंतित नजर आती हैं। लेढ़ूपुर में जिला कराटे संघ के बैनर तले जुटी खिलाड़ियों ने 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में अपने मन की बातें साझा कीं। उन बातों में अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के निर्णय से निराशा के साथ ही चुनौतियों के बीच एक अरमान और अरमान पूरा करने को सहयोग की अपेक्षा सामने आई। जैसा कि ब्लैक बेल्ट होल्डर आयुषी मौर्या और रितिका यादव ने कहा, कराटे से जुड़ी लड़कियों के अंदर जुनून है। जुनून की बदौलत वे अपनी पहचान बनाना चाहती हैं जिला स...