वाराणसी, जुलाई 1 -- वाराणसी। क्रिकेट के जरिए भविष्य संवारने का सपना लिए नवांकुरों (बच्चों) की फौज गेंद, बल्ले, के बल पर मैदान में फतह करने को आतुर है। तमाम एकेडमी बच्चों को निरंतर अभ्यास करा रही हैं। वे सपने भी संजो रही हैं कि उनकी एकेडमी से निकले बच्चे आज नहीं तो कल अंतराष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाने में सफल होंगे, सफलता की नई इबारत लिखेंगे। हालांकि उन्हें यह बात कचोटती है कि स्पर्धाओं की कमी आत्म मूल्यांकन में बाधा डालती है। अगर स्पर्धाओं की संख्या बढ़े तो नई पौध अपनी कमियां दूर करने में सफल हो सकेगी। क्रिकेट में खिलाड़ियों का न सिर्फ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है बल्कि टीम वर्क, अनुशासन, और मानसिक दृढ़ता जैसे कौशल भी सीखने को मिलते हैं। बनारस में क्रिकेट प्रशिक्षुओं को बेहतर प्रशिक्षण, बढ़ियां खेल के मैदान, उच्च कोटि के कोच, और स...