वाराणसी, अगस्त 9 -- वाराणसी। महिलाओं का अधिवक्ता बनने का संघर्ष समाज में बराबरी के हक के लिए उम्मीद की किरण है, जीत की मिसाल है। उनकी लड़ाई न केवल न्यायपालिका बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सोच में भी बदलाव ला रही है। महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जूझने को प्रेरित कर रही है। महिला अधिवक्ताओं की लड़ाई महज कानूनी नहीं, यह सामाजिक और नैतिक लड़ाई भी है। आज वे कार्यक्षेत्र में रचनात्मक बदलाव और सुविधाओं की जरूरत महसूस करती हैं ताकि उनके संघर्ष मशाल निरंतर जलती रहे। महिला अधिवक्ता अपने संघर्ष से समाज में उदाहरण बन रही हैं। वे वकालत पेशे में निरंतर आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने काफी कुछ झेल कर अधिवक्ता बनने तक का सफर पूरा किया है। समाज की दकियानूसी बंदिशें तोड़ी हैं, कई चुनौतियां पार की हैं। चुनौतियों और अपने बुलंद इरादों को लेकर महिला अधिवक्ताओं...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.