वाराणसी, फरवरी 2 -- वाराणसी। देश की सीमाओं पर तैनाती के दौरान हर चुनौती का माकूल जवाब दिया। सेवानिवृत्ति के बाद कॉलोनी का नाम देख सिर्फ बसे ही नहीं, लगभग ढाई दशक के दौरान खुद भी सत्संगी होते गए। मगर इन पूर्व सैनिकों का मूड कॉलोनी में समस्याओं का डेरा देख अब उखड़ा-उखड़ा रहता है। सड़क जर्जर, मुद्दत से चोक नाले में एसटीपी के गंदे पानी से उठती दुर्गंध, सीवर लाइन का इंतजार, पेयजल संकट और हर बरसात में जलजमाव का डेरा। हालात देख लोगों के रिश्तेदार-दोस्त अब कॉलोनी में आने से कतराते हैं। नगर निगम की सीमा विस्तार के बाद सन्-1995 में अकथा वार्ड बना। उस वार्ड में सन-2002 में बसा सत्संग नगर। 13 लेन में फैली कॉलोनी के 12 सौ से अधिक मकानों में 10 हजार से अधिक आबादी रहती है। बाशिंदों में ज्यादातर सेना के किसी न किसी अंग में कार्यरत लोगों के अलावा पूर्व सै...
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