नई दिल्ली, नवम्बर 9 -- बुनियादी सुविधाएं न होने से जलालत भरी जिंदगी जीना तो भीटी दक्षिणी मोहल्ला (रामनगर) के लोगों की नियति बन गई है। यहां न तो रास्ता है और न ही जलनिकासी की सुविधा। दूसरों के प्लॉटों से होकर आना जाना और जलजमाव में रहने की मजबूरी हो गई है। बांस बल्ली के सहारे खींचे गए बिजली के तार को कोई भी आसानी से छू सकता है। नाला जाम है, कहीं-कहीं खुला भी है। लोगों का कहना है कि उनका जीवन 'आदिवासी' जीवन से भी बदतर हो गया है और शिकायतों पर सुनवाई नहीं होती है। दशकों से सुविधाएं न मिल पाने का दर्द भीटी दक्षिणी मोहल्ला (रामनगर) के लोगों को चौबीस घंटे 'रुआसां' किए रहता है। लोग इतने समृद्ध नहीं है कि यह क्षेत्र छोड़कर कहीं और जाकर बस जाएं। सो, ऐसे ही हालात में रोज जी रहे हैं, मर रहे हैं। 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में यहां के लोगों ने अपनी दुर्...
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