वाराणसी, मार्च 3 -- वाराणसी। मनरेगा की रीढ़ रोजगार सेवक वर्षों से मानदेय को तरस रहे हैं। घर के जरूरी खर्च, बच्चों की पढ़ाई, दवा समेत अन्य खर्चों पर संकट है। कोई ट्यूशन तो कोई खेती, पशुपालन के सहारे परिवार को सहारा दे रहा है। इनका तीज-त्योहार फीका है। रिश्ते-सामाजिक संबंध निभाने में धन की कमी आड़े आती है। टीस यह भी है कि अधिकारियों का रवैया संवेदनहीन है। 16 वर्षों से मानव संसाधन (एचआर) पॉलिसी की मांग हो रही है ताकि रोजगार सेवकों को नियत वेतन या मानदेय, अवकाश आदि का लाभ मिले। बरियासनपुर (चिरईगांव) स्थित महादेव पीजी कॉलेज सभागार में जुटे विभिन्न विकास खंडों के रोजगार सेवकों ने अपना दर्द बयां किया। ग्रामीण रोजगार सेवक संघ के अध्यक्ष अतुल कुमार सिंह कहते हैं कि रोजगार सेवकों की जिंदगी अनिश्चितताओं से भरी है। कभी भी उनका मानदेय रोक दिया जाता है। ...