वाराणसी, मई 3 -- वाराणसी। बनास डेयरी ने पशुपालकों के सपने जगाए हैं। अनेक के सपने सजने भी लगे हैं मगर बहुतायत उनकी है जो गुजरात की तरह बनारस में भी श्वेत क्रांति का सपना पाले हुए हैं मगर उन्हें जरूरी संसाधन और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उनका कहना है कि न्याय पंचायतों तक चारा-पानी और दवा का समुचित इंतजाम किया जाए। उन्नत प्रजातियों के दुधारू पशुओं के भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र बनें। तालाबों और चारागाहों का अस्तित्व बहाल हो, सभी ब्लॉक में पशु एंबुलेंस चलें तो जिले में भी गोरस की धार प्रवाहित होगी। बनारस दूध और उससे बने उत्पादों (मिठाइयां छोड़कर) का बड़ा केंद्र बन चुका है। शहर विस्तार, बढ़ती आबादी के साथ डेयरियों की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों के चलते दुग्ध उत्पादक किसानों की पूछ भी बढ़ी है। इन पशुपालकों की एक गंभीर शिकायत है कि उनकी समस्याओं औ...