वाराणसी, मई 24 -- वाराणसी। मानव सभ्यता के इतिहास से कोविड-19 का काला अध्याय अलग नहीं किया सकता। वह मानवीय लापरवाही, तंत्र की बेबसी और मौत की उलटबांसी का दस्तावेज तो है ही, एक सबक भी जिसकी ध्वनि-प्रतिध्वनि हर दिन, हर साल सुनाई देगी। तब ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी ने मौत के तांडव में भरपूर संगत की थी। वह मनहूस घड़ी दोबारा न आए, इसके लिए युवाओं का एक दल जनजागरूकता में जुटा है। अनेक चुनौतियों के बीच उसकी एक ही रट है, पेड़-पौधों से करें दुलार और हरियाली को बनाएं गले का हार। कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी के चलते न जाने कितनों ने अपनों को खो दिया। उस बुरे दौर को याद कर आज भी शरीर सिहर उठता है। मौत के उस तांडव से बचे अनेक लोग तब से अपनी बाडी के इम्युन सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) की नियमित जांच कराते हैं। सेहत के बाबत सचेत हुए हैं। वहीं कुछ युवाओं ने क...