कानपुर, फरवरी 28 -- अपने शहर का गल्ला कारोबार आज संकट में है। जिस गल्ला मंडी से हर माह 600 करोड़ का कारोबार हुआ करता था, आज वह घटकर महज 60 करोड़ रह गया है। कारोबार का यह ग्राफ गिराने में बिचौलियों की सबसे अहम भूमिका है। इन बिचौलियों ने उन 50 हजार लोगों के पेट पर वार किया है जिनकी आजीविका ही इसी से चलती है। हकीकत यह है कि पहले यहां हर रोज 150 ट्रक आते थे, आज यहां सिर्फ दस से बारह ट्रक ही दिखते हैं। जिस मंडी की धमक राजधानी से लेकर कई शहरों तक थी, आज अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के चलते यह सिमटने लगी है। देश-प्रदेश में कानपुर की पहचान रही नौबस्ता गल्ला मंडी बिचौलियों के चुंगल में है। अगर इनसे व्यापार को नहीं बचाया गया तो खून-पसीने से सींचा यह कारोबार बर्बाद हो जाएगा। ये बिचौलिए कोई और नहीं बल्कि मंडी समिति के अफसर ही हैं, जो लगातार गल्ला मंडी और का...