कानपुर, फरवरी 28 -- लाल इमली! अपने कानपुर की शान। ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की सबसे बड़ी इकाई। सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में अपने नाम का लोहा मनवाया। इसके एक हूटर पर शहर जागता था। तब इसकी छांव में 10 हजार कर्मचारी थे। आज इस मिल की बेबसी तो देखिए अब यहां सिर्फ 190 अधिकारी-कर्मचारी बचे हैं। इनको 34 माह से वेतन नहीं मिला है। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान की टीम से रूबरू हुए तो आंसू छलक पड़े। लाल इमली को चलाने की बातें तो बहुत हुईं, धरातल पर काम नहीं हुआ। कई बार योजनाएं बनीं और बिगड़ गईं। तमाम राजनेता कई चुनाव लालइमली को चलवाने की घोषणा पर ही जीत गए। पहले के लोकसभा चुनावों में यहां के कर्मचारियों की अहम भूमिका हुआ करती थी। आज हालात यह हैं कि कर्मचारी किस हाल में हैं ये भी जल्दी कोई नहीं जानना चाहता। कुछ सांसदों ने पहल की मगर उनकी आवाज नक्कारखाने म...