कानपुर, फरवरी 20 -- सर्दी-गर्मी हो या बरसात। हर मौसम में सुबह सफाई कार्य में जुटने वाले कर्मचारियों को पर्याप्त संसाधन नहीं मिलने से परेशान हैं। टूटी झाड़ू और कूड़ा गिराती हाथ गाड़ियों के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहे सफाई कर्मचारी कहते हैं कि अफसरों को भी हमारा दर्द समझना चाहिए। वे कहते हैं कि अगर हमने जिम्मेदारी से थोड़ा भी मुंह मोड़ा तो शहर की सूरत खराब हो जाएगी। इसके बावजूद हमारी बुनियादी जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जाता है। सफाई कर्मचारी कहते हैं कि स्वच्छता रैंकिंग में शहर का मान बढ़ाने के लिए हम हमेशा तैयार हैं लेकिन हमारी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा किया जाए। हमारे दर्द पर भी मरहम लगाया जाए। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से सफाई कर्मचारियों ने अपना दर्द साझा किया। सफाई कर्मी कहते हैं कि सर्दी, गर्मी हो या बरसात। हम अपनी जिम्मेदारियों को निभ...