भागलपुर, मार्च 3 -- प्राइवेट स्कूल द्वारा अपने निजी स्तर पर सभी क्लास का सिलेबस बनाया जा रहा है। निजी प्रकाशकों की किताबें अनुचित और मनमाने मूल्यों पर बेची जा रही हैं। सिलेबस के साथ किताबों की शिक्षा विभाग मॉनिटरिंग नहीं करता। अभिभावकों को लूटा जा रहा है। शिक्षा माफियाओं ने बच्चों के परिजनों की जेबों पर डाका डालना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों द्वारा मनचाहे प्रकाशकों की किताबें लेने के लिए दबाव बनाया जाता है। इनमें शहर के अधिकांश निजी स्कूल शामिल हैं। निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना मध्यम वर्ग के लिए मुश्किल होता जा रहा है। मनमाने ढंग से स्कूल की फीस ली जाती है। उसके बाद किताब, कॉपी, ड्रेस के लिए हजारों की राशि वसूली जाती है। किताबें व ड्रेस स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान से ही मिलते हैं। दुकान में मनमानी कीमत वसूली जाती है। हर साल नामांक...