भागलपुर, नवम्बर 14 -- -प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज सुबह-सुबह जब शहर नींद से जागता है, तब कटिहार की पगडंडियों और सड़कों पर दूध की टंकियों से लदी मोटरसाइकिलें दौड़ती नजर आती हैं। यह नजारा सिर्फ कारोबार का नहीं, बल्कि हजारों किसानों की उम्मीदों और संघर्षों का प्रतीक है। चिलचिलाती धूप हो या बरसात का कहर, ये किसान अपने पशुओं का दूध घर-घर पहुंचाते हैं। लेकिन थकान, अनिश्चितता और बकाया भुगतान के बोझ तले दबकर उनका सपना अक्सर अधूरा रह जाता है। फिर भी आंखों में रोशनी है। एक दिन उनकी मेहनत का दूध भी सम्मान और मुनाफा पाएगा। सुबह का समय... जब सूरज की पहली किरणें खेत-खलिहान पर बिखरती हैं, उसी वक्त कटिहार की गलियों में मोटरसाइकिलों पर दूध की टंकियां बंधी हुई दौड़ती नजर आती हैं। कुरसेला, कोढ़ा, बरारी, मनिहारी और फलका जैसे इलाकों के हजारों दुग्ध उत्पादक रोज...
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