भागलपुर, नवम्बर 16 -- -प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज कटिहार के खेतों में इस बार लाल-लाल स्ट्रॉबेरी की फसल ने नई उम्मीदें जगा दी हैं। पारंपरिक खेती से हटकर इस फल की खेती करने वाले किसानों को बेहतर आमदनी और पहचान की आस है। खेतों में महकती स्ट्रॉबेरी देखकर चेहरे खिले हैं, लेकिन बाजार की अनिश्चितता और बिचौलियों की दखल ने खुशी में चिंता घोल दी है। किसानों का कहना है कि मेहनत तो उन्होंने पूरी की, पर उचित दाम न मिलने से सपना अधूरा सा लगने लगा है। सरकारी मदद और ठोस विपणन व्यवस्था की कमी ने फसल की कीमत तय करना मुश्किल कर दिया है। गांवों में नई खेती का यह प्रयोग कई युवाओं को जोड़ रहा है, पर असली चुनौती उत्पादन से ज्यादा, उसका सही बाजार ढूंढ़ने की है। कटिहार के खेतों में लाल-सुनहरी स्ट्रॉबेरी की फसल अब केवल एक फल नहीं, बल्कि किसानों की नई उम्मीद और साह...