भागलपुर, सितम्बर 10 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/ मणिकांत रमण गांवों की गलियों में हर साल हजारों सपने पंख लगाते हैं। प्लस-टू पास करते ही युवाओं की आंखों में नई दिशा की उम्मीद जगती है, लेकिन रोजगारपरक शिक्षा की कमी और आर्थिक अभाव उनके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बन जाते हैं। परिवार की गरीबी ढोते ये युवा आगे बढ़ने के बजाय मजबूरी में पलायन कर जाते हैं। महानगरों की भीड़ में गुम होकर ये सपने अपने ही राज्य से दूर हो जाते हैं। दरअसल, इनकी प्रतिभा और क्षमता यहीं रहकर बिहार का भविष्य संवार सकती है, लेकिन अवसरों के अभाव में वे बेबस होकर घर छोड़ देते हैं। यदि स्थानीय स्तर पर रोजगारपरक शिक्षा और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तो कटिहार के ये युवा अपने सपनों को यहीं पंख दे सकते हैं और राज्य के विकास में अहम योगदान कर सकते हैं। जिले के युवाओं के सप...
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