भागलपुर, सितम्बर 14 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/राणा सिंह कटिहार के पोखरों में झिलमिलाता मखाना यहां के किसानों की पहचान और पीढ़ियों से जुड़ी मेहनत का प्रतीक है। सुबह से शाम तक पानी में डूबे रहकर किसान पसीना बहाते हैं और अपनी उम्मीदों को सींचते हैं। उनकी यही मेहनत विदेशी बाजारों तक पहुंचती है और देश की पहचान बनाती है। मखाने से दुनिया की थालियां सजती हैं, लेकिन विडंबना यह है कि किसानों के घरों की थाली आज भी सूनी रहती है। मेहनत के बावजूद उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। बिचौलियों के दबदबे और बाजार पर नियंत्रण की कमी से किसानों की हालात जस की तस है। वे हर मौसम उम्मीद बोते हैं, लेकिन फसल आने पर निराशा ही हाथ लगती है। कटिहार की धरती दुनिया भर में 'मखाना बेल्ट के नाम से जानी जाती है। जिले के पोखरों में झिलमिलाता मखाना यहां की पहचान है...