भागलपुर, अगस्त 7 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप बारिश की बूंदें गिरती हैं तो कटिहार के मुसाफिरों के पास छत नहीं, बस एक आसमान होता है। धूप हो या रात का अंधेरा, ये मुसाफिर हर रोज मजबूरी की सड़क पर उम्मीद का सफर करते हैं। बस स्टैंड पर न बैठने की व्यवस्था है, न शौचालय और न ही पीने का पानी। इसके बावजूद बसें चलती हैं, यात्राएं होती हैं और हर मुसाफिर एक सवाल बनकर लौटता है - क्या सफर की ये तकलीफें हमारी किस्मत हैं? जब नगर निगम को टैक्स मिल रहा है तो मुसाफिरों को बुनियादी सुविधाएं और सम्मान क्यों नहीं? यह सिर्फ एक बस स्टैंड की समस्या नहीं, यह इंसानियत और व्यवस्था के प्रति हमारी जवाबदेही की भी लड़ाई है। जिले में यातायात का बड़ा हिस्सा आज भी बसों, ऑटो और ई-रिक्शा पर निर्भर है। हर दिन यहां से 100 से अधिक बसें और हजारों ऑटो व ई-रिक्शा चलते ...
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