भागलपुर, सितम्बर 28 -- -प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज कटिहार की गलियां, जो कभी रौनक और रफ्तार से भरी रहती थीं, आज जाम की गिरफ्त में कैद हैं। हर मोड़ पर गाड़ियों की लंबी कतारें हैं, धैर्य और सांसें दोनों टूटती नजर आती हैं। एंबुलेंस का सायरन भी शोर में दब जाता है और मरीज जिंदगी-मौत के बीच अटके रहते हैं। व्यापारी रोजाना घटती बिक्री से मायूस हैं, जबकि आम लोग घंटों की परेशानी झेलकर थक चुके हैं। बच्चों से बुजुर्ग तक, हर किसी के दिन का बड़ा हिस्सा इसी जाम में गुम हो जाता है। शहर की रफ्तार थमी हुई है और यह थमाव लोगों की उम्मीदों पर भी भारी पड़ रहा है। आवाजें उठ रही हैं, सवाल गूंज रहा है- कब कटिहार को इस जाम के कहर से राहत मिलेगी, कब इन सड़कों पर फिर से वह पुरानी रौनक लौटेगी? कटिहार, जो कभी अपनी फुर्ती, रौनक और चहल-पहल के लिए जाना जाता था, आज जाम और ...