भागलपुर, दिसम्बर 2 -- -प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, आशीष कुमार सिंह फलका प्रखंड. एक ऐसा इलाका, जिसकी पहचान कभी हरियाली, भरपूर फसल और बहते पानी की मधुर धुन थी। नहरों में कल-कल करती धारा यहां के खेतों को नहीं, बल्कि किसान परिवारों की उम्मीदों को भी सींचती थी। गर्मा धान की खुशबू और गेहूं-दलहन के सुनहरे खेत यहां के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थे। मगर वक्त बदला, और इसी बदले वक्त ने फलका की किस्मत भी बदल दी, ऐसे बदली कि अब सूखी नहरें किसानों की पीड़ा बनकर खड़ी हैं। 1987 की बाढ़. और इसके बाद सब कुछ थम गया। 35 साल पहले आई प्रलयंकारी बाढ़ ने यहां की नहरों को जैसे निगल लिया। कोसी और बरंडी नदियों के रौद्र रूप ने बारहमासी धाराओं का रास्ता ही बदल दिया। किसान अमित गुप्ता, बंटू शर्मा, टुनटुन गुप्ता, शमशेर आलम, राघव सिंह, शंकर सिंह, राजू चौधरी औ...
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