भागलपुर, सितम्बर 9 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/ मणिकांत रमण सुबह की पहली किरण के साथ जब मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने की तैयारी करती है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता यही रहती है कि क्या वह समय पर पहुंच पाएगा। बुजुर्ग दवा लेने निकलते हैं तो सोचते हैं कि कहीं रास्ता जाम में न फंस जाए। एंबुलेंस सायरन बजाती है तो लोग दुआ करते हैं कि मरीज अस्पताल तक वक्त पर पहुंच जाए। कोढ़ा और कुरसेला जैसे इलाकों में ट्रैफिक जाम अब रोजमर्रा की त्रासदी बन चुका है। घंटों सड़क पर फंसे रहना यहां की नियति बन गई है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर लोगों की जिंदगी तक, सब कुछ इस जाम की भेंट चढ़ता जा रहा है। हर परिवार की सुबह डर और परेशानी से शुरू होती है। सवाल यही है कि क्या कभी इन सड़कों पर जिंदगी सुकून से चल पाएगी, या लोग हमेशा जाम की जकड़ में यूं ही जूझते रहेंगे? नगर पंचायत बन...