पूर्णिया, जुलाई 29 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, अजय गुप्ता हर सुबह सूरज उगता है, लेकिन मनसाही के किसानों की उम्मीदें उसी कीचड़ में धंस जाती हैं, जिसमें उनकी सड़कों का वजूद है। खेतों में मेहनत से लहलहाती फसलें मंडी तक पहुंचने से पहले सड़कों की बदहाली में दम तोड़ देती हैं। बीमार को अस्पताल ले जाना हो या बच्चे को स्कूल, जर्जर रास्ते हर कदम पर मुसीबत बनकर सामने खड़े हैं। 12 साल से आश्वासन मिले, लेकिन सड़क नहीं मिली। अब गांव की चुप्पी टूट रही है, और हर किसान, हर मां, हर छात्र की पुकार एक ही है कि हमें अब सड़क चाहिए, सम्मान और जीवन की राह चाहिए। फसल तैयार है, लेकिन मंडी नहीं पहुंचा सकते। गाड़ी फंस जाती है या फिर लदाई में दोगुना खर्च हो जाता है। ये पीड़ा सिर्फ शरीफगंज के किसान ही नहीं, बल्कि पूरे मनसाही, मनिहारी और बरारी प्रखंड के किसानों की ह...