भागलपुर, सितम्बर 17 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/मुदस्सिर नजर बारसोई अनुमंडल की गलियों में जब किसी मां की थकी आंखों में उम्मीद झिलमिलाती है या किसी बेटी की मुस्कान अधूरी किताबों के पन्नों में खो जाती है तो मन सवाल करता है- कब बदलेंगे हालात? यहां की महिलाएं हर दिन सपनों और संघर्ष के बीच जूझ रही हैं। अधूरी शिक्षा, असुरक्षित स्वास्थ्य, रोजगार की कमी और सम्मान की तलाश उनकी जिंदगी की सच्चाई है। बावजूद इसके उनकी हिम्मत टूटी नहीं है। कठिनाई की लकीरें चेहरों पर साफ झलकती हैं, परंतु दिल में बदलाव की लौ जलती रहती है। यही दृढ़ता और जिजीविषा बारसोई की सबसे बड़ी ताकत है। महिलाओं के संघर्ष और उम्मीद की यह लौ साबित करती है कि हालात चाहे जैसे हों, बदलाव संभव है। बारसोई अनुमंडल की गलियों और गांवों में जब महिलाओं से बात की जाती है तो उनकी आंखों में सपनों ...