भागलपुर, अगस्त 10 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप मिरचाईबाड़ी स्थित इंदिरा गांधी केंद्रीय पुस्तकालय, जो कभी ज्ञान और साहित्य का प्रमुख केंद्र था, आज उपेक्षा का शिकार है। धूल में दबी किताबें, बिखरे पुराने अखबार और जर्जर दीवारें इसकी बदहाली बयान करती हैं। जहां कभी साहित्यकारों की महफिलें और विद्यार्थियों की चहल-पहल रहती थी, वहां अब सन्नाटा है। यह पुस्तकालय सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि शहर की बौद्धिक पहचान है, जिसका अस्तित्व खतरे में है। समय रहते इसके संरक्षण और पुनर्जीवन की पहल नहीं हुई तो यह अमूल्य धरोहर इतिहास के पन्नों में खो जाएगी। जिला मुख्यालय मिरचाईबाड़ी स्थित इन्दिरा गांधी केंद्रीय पुस्तकालय, जो कभी साहित्यकारों का मिलनस्थल और ज्ञान का प्रमुख केंद्र हुआ करता था, आज उपेक्षा और लापरवाही के कारण अस्तित्व संकट में है। यह केवल एक...
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