भागलपुर, सितम्बर 24 -- -प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/मुदस्सिर नजर उम्र ढल रही है, बाल सफेद हो चुके हैं और कंधों की ताकत कमजोर हो गई है, लेकिन सरकारीकरण का सपना अब भी अधूरा है। जिले के आठ वित्तविहीन इंटर और डिग्री कॉलेजों में कार्यरत सैकड़ों शिक्षक और कर्मचारी जीवन का बड़ा हिस्सा शिक्षा सेवा में समर्पित कर चुके हैं। चार दशकों से बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले ये शिक्षाकर्मी आज खुद असुरक्षित भविष्य की पीड़ा झेलने को विवश हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें न पेंशन की सुविधा मिली है, न ही सामाजिक सुरक्षा और न ही वह सम्मान जिसके वे हकदार हैं। वर्षों की मेहनत और समर्पण के बाद भी व्यवस्था की उपेक्षा और सरकारी संवेदनहीनता ने इन्हें एक जीवंत उदाहरण बना दिया है। कटिहार जिले के आठ वित्त रहित इंटर और डिग्री कॉलेजों की हकीकत उस व्यवस्था की कहानी है, जहां श...