भागलपुर, मई 12 -- कुम्हारों की पीड़ा प्रस्तुति: मोना कश्यप फ्रिज की ठंडक में घुली मिट्टी के बर्तनों की पहचान मिट्टी के बर्तन सिर्फ बर्तन नहीं, एक संस्कृति, एक परंपरा, और मेहनत से जुड़ी जिंदगियों की कहानी हैं। कभी हर घर की रसोई और आंगन में जगह पाने वाले ये बर्तन आज बाजार की भीड़ में गुम हो रहे हैं। फ्रीज और वाटर कूलर ने उनकी जगह ले ली, और कुम्हारों की मेहनत अब केवल कुछ पैसों में सिमट गई है। बढ़ती मिट्टी की कीमतें, सस्ते दर पर दुकान की कमी और घटती मांग ने उनके परिवार की दाल-रोटी तक को मुश्किल कर दिया है। यह पुश्तैनी कला कहीं खो न जाए, यही उनकी सबसे बड़ी चिंता है। मिट्टी के बर्तनों का इतिहास सदियों पुराना है। इनका उपयोग न केवल भोजन पकाने और पानी ठंडा करने के लिए होता था, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक समारोहों में भी इनका अहम स्थान थ...