पूर्णिया, जुलाई 16 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मणिकांत रमण दिल में देश सेवा का जज्बा। सेना और पुलिस में जाने की चाहत। हर रोज नंगे पांव सड़़कों पर दौड़। फिर भी सफला के लिए संघर्ष। वजह यह है कि युवाओं के लिए ना खेल का मैदान और ना ही प्रशिक्षक तैनात हैं। हर साल हजारों सपने चकनाचूर हो रहे हैं। कड़ी मेहनत के बाद भी युवा सफलता से चूक रहे हैं। कटिहार जिले के युवाओं का कुछ ऐसा ही दर्द है। हिन्दुस्तान संवाद में युवाओं ने कहा कि अगर खेल का मैदान और बेहतर प्रशिक्षक मिले तो हम देश सेवा के लिए पूरी ताकत लगा देंगे। कटिहार जिले के युवा प्रतिभा और उत्साह से लबरेज हैं। खेल प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन मैदान और प्रशिक्षक के अभाव में तरासा नहीं जा रहा है। पुलिस भर्ती हो या सेना की दौड़, कटिहार जिले के ग्रामीण इलाकों के हजारों युवा हर सुबह सड़क किनारे दौड...