भागलपुर, अगस्त 6 -- महापुरुषों की प्रतिमा का शहर में अनदेखी प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप वे सिर्फ पत्थर की मूर्तियां नहीं, हमारे इतिहास, संघर्ष और संस्कारों की जीवित प्रतीक हैं। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज, देश और मानवता के लिए समर्पित किया, आज उन्हीं महापुरुषों की प्रतिमाएं धूल और गंदगी के बीच उपेक्षित पड़ी हैं। साल में दो दिन माल्यार्पण कर हम जैसे अपना कर्तव्य निभा लेते हैं, लेकिन बाकी दिनों में उन्हें भूल जाना क्या सच्ची श्रद्धांजलि है? ये प्रतिमाएं हमें न केवल उनके विचारों की याद दिलाती हैं, बल्कि हमें भी अपने कर्तव्यों का एहसास कराती हैं। अब समय आ गया है कि हम जागें और अपने नायकों को सम्मानपूर्वक याद करें। कटिहार शहर के चौराहों, पार्कों और प्रशासनिक परिसरों में स्थापित महापुरुषों की प्रतिमाएं आज उपेक्षा की शिकार हैं। ड...