भागलपुर, जून 28 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप कटिहार की धरती पर जब कोई जिंदगी मौत से जूझती है तो उसे बचाने के लिए सिर्फ डॉक्टर या दवा ही नहीं, एक अनजान रक्तदाता की मदद भी जरूरी होती है। ये खून की कुछ बूंदें किसी की दुनिया बचा सकती हैं। लेकिन जब यही रक्त सौदे में बदल जाए तो दिल रो पड़ता है। सोचिए, अगर जरूरतमंद को खून न मिले या इसके लिए भारी रकम चुकानी पड़े तो क्या हम सच में इंसान कहलाने लायक हैं? यही समय है जब हमें तय करना होगा - हम इंसानियत की राह पर चलेंगे या माफिया के इस अमानवीय धंधे को देख चुप रहेंगे? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। इस धरती पर रक्त सिर्फ शरीर को नहीं, इंसानियत को भी जीवित रखता है। पर जब यही रक्त बिकने लगे, तो सवाल सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि संवेदना और नैतिकता का भी ह...