भागलपुर, जून 25 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप हर सुबह उम्मीद लेकर कॉलेज पहुंचते हैं छात्र-छात्राएं, मगर पढ़ाई से ज़्यादा सामना होता है अनजान चेहरों, ताले लगे कमरों और परीक्षा के लिए खाली कराए गए क्लासरूम से। ज्ञान की जगह अब चिंता घेर लेती है मन को - आज क्लास होगी या फिर कोई और परीक्षा? कटिहार के कॉलेजों की दीवारें अब ज्ञान नहीं, सरकारी दबाव की गूंज से भर गई हैं। युवा मन पढ़ना चाहता है, सपना देखना चाहता है, लेकिन व्यवस्था बार-बार उन्हें रोक देती है। ऐसे माहौल में न शिक्षा बचती है, न विश्वास। अब बदलाव की ज़रूरत है - ताकि कॉलेज, फिर से कॉलेज बन सके। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। जिले के डिग्री कॉलेज अब शिक्षा के केंद्र कम और परीक्षा केंद्र या सरकारी कार्यों का अड्डा ज़्यादा बनते जा रहे हैं। ...
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