भागलपुर, जुलाई 2 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप कटिहार के बाजारों की रौनक अब पहले जैसी नहीं रही। कभी जहां व्यापारियों की मुस्कान ग्राहकों से मिलती थी, आज वहां चिंता की लकीरें हैं। जीएसटी की जटिलताएं छोटे कारोबारियों की रीढ़ तोड़ रही हैं। टैक्स चुकाना कोई नहीं टालता, पर जब नियम रोज बदलें, तकनीक साथ न दे और हर कदम पर डर बना रहे, तो दिल घबरा जाता है। दुकान बचाएं या नियम समझें? - यही सवाल अब हर व्यापारी के चेहरे पर पढ़ा जा सकता है। सरकार से उम्मीद है कि वो न सुने सिर्फ आंकड़े, बल्कि इन परेशान चेहरों की आवाज भी समझे। यह बातें हिन्दुस्तान के 'बोले कटिहार' संवाद में उभर कर सामने आईं। जब 2017 में जीएसटी लागू हुआ था, तो उम्मीद थी कि देश में कर प्रणाली सरल और पारदर्शी होगी। लेकिन कटिहार के हजारों छोटे और मंझोले व्यापारियों की हकीकत इससे ...
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