पूर्णिया, जून 19 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मणिकांत रमण सुबह की पहली किरण के साथ जब एक मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने की तैयारी करती है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता होती है - क्या समय पर स्कूल पहुंच पाएगा? एक बुजुर्ग दवा लेने निकले तो सोचते हैं - क्या रास्ता जाम में फंसेगा? और जब कोई एंबुलेंस सायरन बजाती है तो लोग दुआ करते हैं - भगवान करे, वक्त पर अस्पताल पहुंच जाए। कोढ़ा और कुरसेला जैसे इलाके, जहां जिंदगी रोज ट्रैफिक की भेंट चढ़ जाती है, वहां हर परिवार की सुबह इसी डर और परेशानी से शुरू होती है। क्या कभी सुकून से चल पाएगी इन सड़कों पर जिंदगी? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। नगर पंचायत बनने के बाद कोढ़ा और कुरसेला के लोगों ने उम्मीद की थी कि अब बुनियादी सुविधाएं सुधरेंगी, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था की दुर्दशा...