भागलपुर, जून 16 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप हर सुबह हजारों छात्र-छात्राएं कटिहार के डिग्री कॉलेजों की ओर उम्मीदों भरी आंखों से निकलते हैं। उनके कंधों पर किताबें होती हैं, दिल में सपने और भविष्य को संवारने की ललक। लेकिन जैसे ही वे कॉलेज की दीवारों के भीतर पहुंचते हैं, हकीकत सपनों को तोड़ने लगती है। न प्रयोगशाला है, न शिक्षक, न किताबें और न मार्गदर्शन। यह शिक्षा नहीं, केवल डिग्री का बोझ है जो उन्हें थमा दिया जाता है। ज्ञान से खाली ये डिग्रियां उन्हें आत्मनिर्भर नहीं बना पातीं। सवाल उठता है कटिहार के डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले हजारों छात्र-छात्राओं के सपनों में जान नहीं, केवल कागज़ की डिग्री मिल रही है। वे कॉलेज की सीढ़ियां तो चढ़ते हैं, लेकिन वहां न प्रयोगशाला है, न पर्याप्त शिक्षक, न किताबें और न कोई मार्गदर्शन। शिक्षा, जो...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.