पूर्णिया, जून 27 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप जब किसी बेटी की आंखों में पढ़ाई का सपना पलता है तो उसे सिर्फ किताबें नहीं, एक सुरक्षित और सहायक माहौल भी चाहिए होता है। कटिहार की बेटियां भी डॉक्टर, शिक्षक, अफसर बनने का सपना देखती हैं, लेकिन संसाधनों की कमी, असुरक्षित सफर और रहने की व्यवस्था न होने से उनका रास्ता कांटों भरा हो जाता है। जब गांव से शहर आने वाली एक होनहार बेटी रोज़ अपमान और असुविधा सहकर भी हार नहीं मानती, तो उसका संघर्ष समाज के लिए एक आईना बन जाता है। सवाल यह है-क्या हम उसकी उड़ान के लिए आसमान दे पाए हैं? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। कटिहार की बेटियां जब शिक्षा का सपना आंखों में संजोती हैं, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है-संसाधनों की कमी और असुरक्षित माहौल। जिले में जहा...