भागलपुर, जून 15 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अंबुज/मोना कश्यप जिस इमारत से गांव वालों ने सेहत की उम्मीद लगाई थी, वही अब उजड़े सपनों का प्रतीक बन चुकी है। खिड़कियां टूटी हैं, दरवाजे गायब, पंखे और दवाएं तक चुराई जा चुकी हैं। डॉक्टर महीनों में कभी दिखते हैं, पानी की बूंद तक नसीब नहीं। बीमार शरीर तो यहां आते हैं, मगर लौटते हैं खाली हाथ-बिना इलाज, बिना भरोसा। ये कहानी सिर्फ एक अस्पताल की नहीं, पूरे गांव की टूटती उम्मीदों की है। अब लोग सवाल नहीं, बस इंसानियत से जवाब मांग रहे हैं-क्या गांवों को इलाज का हक नहीं कटिहार जिले के ग्रामीण इलाकों में जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुले थे, तब लोगों की आंखों में उम्मीद की चमक थी। लगा था, अब गांव में ही इलाज की सुविधा मिलेगी, महिलाओं को बेहतर देखभाल, बुजुर्गों को सहारा और घायल मरीजों को फौरन इलाज मिलेगा। पर हकीक...