भागलपुर, जून 12 -- प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप हर सुबह जब सूरज की पहली किरण कटिहार के गौशाला चौक पर पड़ती है, तो उसके साथ हजारों लोगों की बेबस आवाजें भी उठती हैं-"कब बनेगा ये ओवरब्रिज?" हर 30 मिनट पर गुजरती ट्रेन, बंद फाटक और घंटों का जाम यहां की नियति बन चुकी है। एम्बुलेंस की सायरन भी यहां रुक जाती है, बच्चों की स्कूली बसें थक जाती हैं, और एक-एक सांस फंसी रहती है। यह सिर्फ एक ओवरब्रिज नहीं, जीवन की जरूरत है, जो अधूरी पड़ी है। धूल-मिट्टी में लिपटी उम्मीदें हर दिन टूटती हैं, पर शहर आज भी इंतजार कर रहा है-किसी राहत, किसी राह के खुलने का। कटिहार शहर का दिल कहे जाने वाला गोशाला इलाका इन दिनों विकास की अनदेखी का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। वर्षों से अधूरे पड़े गोशाला ओवरब्रिज ने लोगों की जिंदगी को रोजाना जाम और जहमत के जाल में फंसा...