औरंगाबाद, मार्च 28 -- औरंगाबाद जिले में पशुपालन पर किसानों का जोर पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। जिले के दूध उत्पादकों की महंगाई के अनुपात में कीमत नहीं मिल पा रही है। इस कारण दूध उत्पादन से किसानों का धीरे-धीरे मोह भंग होता जा रहा है। एक-दो दशक पहले से तुलना करें तो पहले घर-घर दूध, दही उपलब्ध हो जाते थे। समय के साथ सब कुछ बदला। सहकारी दुग्ध उत्पादक केंद्र खुले जहां पशुपालक अपना दूध जमा करते हैं और फैट के अनुसार उसका मूल्य प्राप्त करते हैं। पशुपालकों के समक्ष भी कई तरह की समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं। पहले जहां हरा चारा चरने से ही मवेशियों के पेट भर जाते थे। अब पशुपालक मवेशी को बांधकर रखते हैं, ऐसे में उन्हें चोकर खाली खिलाना पड़ता है। दूध के व्यवसाय में लगे लोग सुदूर गांवों और देहातों में भी इनका बड़ा समूह है। विभिन्न गांवों और टोल...
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