एटा, मार्च 8 -- स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाओं का रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ने महिलाओं को बैंक सखी तो बना दिया, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया। मात्र चार हजार रुपये मानदेय में ये महिलाएं गांव-गांव जाकर छोटे कारोबारों के बारे में वित्तीय जानकारी देती हैं। हालांकि दूसरों के लिए रोजगार का मौका देने वाली ये बैंक सखी खुद के आर्थिक उत्थान को लेकर आज भी संघर्ष कर रही हैं। वयं सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने में जुटी बैंक सखी की आर्थिक स्थित दयनीय है। मात्र चार हजार रुपये महीने पर काम करने वाली यह महिलाएं आठ घंटें तक काम करती हंै। घर जाने के बाद भी इन महिलाओं को गांव-गांव पहुंचकर काम करना पड़ता है। इन महिलाओं के काम बदले मिलने वाली पगार को लेकर कोई मंथन नहीं हो रहा। जिले के आठों ब्लॉक क्षेत्र में यह महिलाए काम कर रही है। ए...