एटा, फरवरी 21 -- हाथों में दो रोटी और अचार लेकर मजदूरी की आस में रोजाना शहर के मेहता पार्क में काम करने के लिए मजदूरों की भीड़ पहुंचती है, जिनमें से सिर्फ 40 फीसदी लोगों को ही काम मिल पाता है। दोपहर तक इंतजार के बाद भी जब काम नहीं मिलता है तो घर को लौटना पड़ता है। दूर गांवों से आने वाले कुछ मजदूरों के पास तो रोजाना किराए तक के पैसे भी नहीं होते हैं। कोई पहचान पत्र न होने के कारण इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ तक भी नहीं मिल पाता है। नौ बजे Iके बाद काम मिलने की संभावना कम मजदूरी करने वाले तबका का एक बहुत बड़ा वर्ग है। यह मजदूर दैनिक काम करने के लिए घरों से निकलते है। कोई दस किमी तो कोई बीस किमी की यात्रा करके सुबह आठ बजे तक लेबर चौक तक पहुंच जाते है। शहर में दो स्थानों पर मजूदरों की भीड़ लगती है। हर रोज घर से खाना लेकर वह लोग काम के लिए जब चौक प...