एटा, मार्च 26 -- भारत में कई प्राचीन और पारंपरिक खेल खेले जाते हैं। इनमें से खो-खो और मलखंब प्रमुख हैं। यह दोनों ही खेल न केवल शारीरिक दक्षता और कौशल की मांग करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इस खेल में सहभागिता करने वाले बच्चों की संख्या भी कम नहीं है, लेकिन सुविधा न मिलने के कारण इस खेल में लोग आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इस खेल को सिखाने के लिए कोई कोच नहीं है। खो सेंटर को सरकार से सहायता नहीं मिलती है। खुद के पैसों से खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रक्टिस मैट की स्थिति अच्छी नहीं है। प्रशिक्षण के दौरान उनयोग में आने वाले तेल और पाउडर के भी लाले पड़ जाते हैं। एटा में पांच हजार से अधिक खिलाड़ी है। एटा के खिलाड़ी जिला, मंडल और प्रदेश स्तर पर प्रतिभाग कर चुके है। खो-खो का एटा कोई बोर्डिंग सेंटर नहीं है। सरकार...