एटा, सितम्बर 5 -- गांव में फैली बीमारी हो या फिर गर्भवती महिलाओं का सेवा कार्य... सभी का साथ देने वाली आशा कार्यकर्ता आज अपने हक के लिए भटक रही हैं। सरकार ने इनका मानदेय 18 हजार रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक जिम्मेदारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। लगातार मांग करने के साथ-साथ इन्होंने कई बात धरना प्रदर्शन भी किए। इसके बाद भी इन महिलाओं को कोई सुविधा नहीं मिल सकी। हिन्दुस्तान के 'बोले एटा के तहत इन आशा कार्यकर्ताओं से बात की गई तो परेशानी की कहानी खुलकर सामने आई। संचारी रोग हो अथवा बीमारों का सर्वे करने का काम हो। इन सभी के लिए आशा कार्यकत्रियों को याद किया जाता है। हर घर पर पहुंचकर सभी को सलामत करने की रिपोर्ट प्रशासन से लेकर शासन तक पहुंचती है। दिन रात मेहनत करने के बाद भी मानदेय के नाम पर सिर्फ दिखावा है। सरकार ने कई ब...