उरई, फरवरी 14 -- उरई। एक दौर था जब कालपी का कागज उद्योग मशहूर था, कारोबारी पूरी सप्लाई नहीं कर पाते थे। 900 साल हो गए इस व्यापार को। सोचा नहीं होगा कि इतना पुराना उद्योग कभी दम तोड़ देगा। कभी यहां छोटी-बड़ी 200 कागज फैक्ट्रियां हुआ करती थीं जो अब 40 से 50 के बीच सिमट गई हैं। बिजली की बढ़ती कीमतों, जीएसटी और मजदूरों के पलायन ने उद्योग की कमर तोड़ दी है। सीमेंट की चादर में इस्तेमाल होने वाले कागज की शीट से 80 फीसदी व्यापार चल रहा है। रोना महामारी ने कहर क्या बरपाया, कागज उद्योग की कमर टूट गई। 50 में आधा दर्जन फैक्ट्रियां विवाह घर और गेस्ट हाउस में तब्दील हो गईं। जहां कागज की तमाम वैरायटी तैयार होती थीं, कच्चे-पक्के माल की आवाजाही रहती थी, वहां पर अब शहनाइयां बज रही हैं, कहीं-कहीं राजनीतिक कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं। चंद फैक्ट्री संचालक इस ब...