उरई, फरवरी 18 -- उरई। ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा... मैं सजदे में नहीं था, आपको धोखा हुआ होगा। जी हां हमारे पल्लेदारों की यही कहानी है। अपनी पीठ पर रख कर रोज अनाज के जितने बोरे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं, उसी के आधार पर रुपये मिलते हैं। गल्ला मंडी में पल्लेदारों के लिए न शौचालय की फ्री व्यवस्था है और न ही कोई कैंटीन। अफसरों की उपेक्षा से पल्लेदार चिकित्सा, शिक्षा, सरकारी योजनाओं के साथ अन्य सुविधाओं से वंचित है। जनप्रतिनिधि भी कुछ नहीं सुनते। उरई के राठ रोड स्थित गल्ला मंडी में दिन-रात अनाज के बोरे अपनी पीठ पर उठाने वाले पल्लेदारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। अनाज से भरी जितनी बोरियां पीठ पर उठाते हैं उसी के हिसाब से उन्हें पैसे मिलते हैं। पसीने से भीगे हुए इन पल्लेदारों के चेहरों पर अफसरों की उदासीनता साफ झलकती है। आपके ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.