उरई, फरवरी 18 -- उरई। किसान को अन्नदाता और धरती पुत्र भी कहा जाता है। पूरी दुनिया में अमीर हों या गरीब, नौकरीपेशा हो या उद्योगपति सभी भोजन के लिए किसान पर आश्रित हैं पर मौजूदा हालात में हमारे अन्नदाता चौतरफा परेशानियों का सामना कर रहे हैं। खाद-बीज की किल्लत है तो अन्ना मवेशी नींद हराम किए हुए हैं। उर्वरक की उपलब्धता है पर कारोबारी कालाबाजारी कर महंगे दामों पर बेचते हैं। सिंचाई के लिए कभी नहर तो कभी ट्यूबवेल से पानी नहीं मिलता है। यूरिया और डीएपी खरीदनी है तो 200 रुपये ज्यादा देने पड़ेंगे। ये हम नहीं, बल्कि बेचने वाले कारोबारी कह रहे हैं। मजबूर किसान कहां जाएं, खेती करनी है तो मनमाने रेट पर यूरिया और डीएपी खरीदनी ही पड़ेगी। किसान हर सीजन में फसलों के लिए जरूरी सुविधाओं के लिए जूझते हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान किसान बल...