उरई, फरवरी 17 -- उरई। सरहद पर अपने फौलादी इरादों से दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले हमारे जांबाज सैनिक अपने घर में अपनों से ही जंग लड़ रहे हैं। देश की रक्षा कर लौटे तो पता चला कि उनकी जमीनों पर कब्जे हो गए, अब जमीन छुड़ाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। इसके अलावा बदहाल अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए भी उनकी जंग जारी है। जिले में एक कैंटीन भी नहीं है, सामान लेने झांसी और कानपुर की कैंटीन में जाना पड़ता है। ऐसी तमाम परेशानियों से जूझ रहे हैं पूर्व सैनिक। जालौन के पूर्व सैनिकों की पीड़ा सुनने के लिए कोई प्लेटफार्म नहीं है। यहां न तो कोई हेल्प डेस्क है और न ही अफसर। चिकित्सा, कैंटीन और भूमि विवादों से परेशान हैं। जालौन के 6000 पूर्व सैनिकों ने अपनी आधी उम्र देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर दी और जब वापस घर लौटे तो उन्हें अपनी जमीन पर दूसरों ...
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