उरई, फरवरी 24 -- उरई। बाजारीकरण ने जब शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया तो लगा कि मध्यम और गरीब तबके के हम प्रतियोगी छात्रों की डगर बेहद कठिन हो जाएगी, लेकिन पुस्तकालयों ने हमारा साथ नहीं छोड़ा। हालांकि अब हालात बदल गए हैं, उरई में छात्र-छात्राएं कंपटीशन क्रैक करना चाहते हैं। बशर्ते उन्हें मनमाफिक संसाधन मिलें। छात्र कहते हैं दिन-रात पढ़ाई करने के बाद भी हम सिर्फ अच्छी लाइब्रेरी, कोचिंग और किताबों के अभाव में पीछे छूट जाते हैं। उनका दावा है कि सुविधाएं मिलने पर आसमां में सुराख करने का जज्बा हम भी रखते हैं। लेकिन व्यवस्था में अब सुधार की जरूरत आन पड़ी है। यहां समय बिताने वाले हम प्रतियोगी छात्रों को करेंट अफेयर्स जैसी जरूरी पुस्तकें ढूंढे़ नहीं मिल रही हैं... आशंका है कि लाइब्रेरी की पुरानी किताबों के चलते आज की लड़ाई हार न जाएं। आज लगभग हर हा...